Monday, April 18, 2011

ठेका नहीं लिया है पाक खिलाडिय़ों को पालने का

----अनिल बिहारी श्रीवास्तव
पाकिस्तानी क्रिकेट खिलाड़ी शाहिद आफरीदी ने इंडियन क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) से अपील की है कि इंडियन प्रीमियर लीग में शामिल किये जाने के समय पाकिस्तान क्रिकेट खिलाडिय़ों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए। कराची में आफरीदी ने सफाई दी कि वह अपनी बात नहीं कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि पाकिस्तानी युवा क्रिकेट खिलाडिय़ों को आईपीएल जैसे प्लेटफार्म पर खेलने का अवसर मिले। उल्लेखनीय है कि आईपीएल के पहले संस्करण (२००८) में ११ पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को खेलने का मौका मिला था। हैदराबाद टीम से उस आईपीएल में शामिल हुए शाहिद आफरीदी सबसे महंगे पाकिस्तानी खिलाड़ी थे जिसने पौने सात लाख डालर की मोटी रकम कमाई थी। मुंबई पर आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न सुरक्षा चिंताओं के चलते २००९ और २०१० के आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाड़ी नहीं खेल पाए। आईपीएल के आज से शुरू हो रहे चौथे संस्करण में भी पाकिस्तानी खिलाड़ी नहीं हैं। यह तो आंकड़ों की बात हुई लेकिन आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडिय़ों की रुचि के पीछे एक जुझारू और फटाफट क्रिकेट मुकाबले में खेलकर बल्ले और गेंद पर हाथ साफ करने और नाम कमाने की भावना के पीछे असल आकर्षण इस टूर्नामेंट से खिलाडिय़ों पर होने वाली नोटों की बारिश है। यह एक ऐसा अवसर होता है जब अच्छा खिलाड़ी नोटों की गठरी बांधकर घर लौटता है। वह आर्थिक चिंताओं से कई वर्षों तक मुक्त रह सकता है। इस देश में भी कुछ लोग आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को मौका देने की वकालत कर चुके हैं। उनका सिर्फ यही राग सुनाई देता है कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध सामान्य होने में मदद मिलेगी। लेकिन इतिहास गवाह है विभाजन के छह दशकों के दौरान भारत ने कम-से-कम ६०० बार पाकिस्तान से संबंध सामान्य बनाने की कोशिश की होगी। भारत ने पाकिस्तानियों के तमाम छल-कपट को नजरअंदाज किया है। पाकिस्तान के विषवमन की ओर कभी ध्यान नहीं दिया लेकिन बदले में भारत को मिला क्या? ईष्र्या, नफरत, साजिशें और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर जहर की बौछार? अपनी दकियानूस सोच, कट्टरवाद, आतंकवाद को संरक्षण के कारण पाकिस्तान पिछड़ा है। वह कर्ज में डूबा है, मगर उसकी अकड़ कायम है। इस सबके बावजूद पाकिस्तानी कलाकारों को यहां काम दिया जाता है। गंभीर रूप से बीमार पाकिस्तानियों का यहां मुफ्त या रियायती दर पर इलाज होता है। कम-से-कम आधा दर्जन पाकिस्तानी शिशुओं और बच्चों के दिल यहां दुरुस्त किये गये। राजनीति और कूटनीति का फेर ऐसा है कि भारत, पाकिस्तानी कारस्तानियों को जानते हुए भी अक्सर चुप रहा। अधिकांश पाकिस्तानियों के दिमाग में भारत और भारतीय के प्रति कितनी नफरत और जहर भरा है इसका प्रमाण विश्वकप क्रिकेट के सेमीफाइनल में भारत के हाथों पराजय के बाद पाकिस्तान लौटे उनके कप्तान शाहिद आफरीदी के बयान से मिल गया। आफरीदी ने भारतीयों को छोटे दिल वाला बताया था। उसके अनुसार भारतीयों के साथ रहा ही नहीं जा सकता है। वहीं आफरीदी आज भारतीय क्रिकेट बोर्ड से कह रहा है कि आईपीएल में पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को शामिल किया जाए। क्यों? क्या भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने ठेका लिया है पाकिस्तानी खिलाडिय़ों को पालने का? हैरानी हो रही है कि शाहिद आफरीदी के बयान पर? क्या कोई इंसान इतना भी मक्कार हो सकता है? साफ शब्दों में कहें, पाकिस्तानियों को यहां खेलने देने की इजाजत का अर्थ सांप को दूध पिलाने की तरह होगा। यहां से दौलत, शोहरत कमाओ और अपने देश लौटकर हमें कोसो। अरे भई! आप आईपीएल में क्यों खेलना चाहते हैं। अपना खुद का पीपीएल शुरू कर लो। आश्वस्त करते हैं हमारा कोई खिलाड़ी उसमें खेलने देने के लिए आप के समक्ष नहीं गिड़गिड़ाएगा।

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