अनिल बिहारी श्रीवास्तव
कांग्रेस के १२५ वर्ष पूरे होने पर जारी किताब ‘‘कांग्रेस एण्ड द मेकिंग आफ द इंडियन नेशन’’ में पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन के साथ संबंधों और संजय गांधी स्वेच्छाचारिता के संबंध में खरी-खरी टिप्पणी करके कांग्रेस ने स्वयं में आये बदलाव का प्रमाण पेश किया है। इन टिप्पणियों से कांग्रेस ने यह संदेश दिया है कि अतीत के कड़वे सच अथवा गलतियों को स्वीकार करने में उसे किसी प्रकार का संकोच नहीं होगा। किताब में कांग्रेस ने पाकिस्तान को अपना परम्परागत शत्रु निरुपित किया है। इसी प्रकार सामरिक और आर्थिक मोर्चों मुद्दों पर कांग्रेस चीन को अविश्वसनीय मानती है। यह बात खुले तौर पर और बहुत साफ शब्दों में कही गई है कि चीन भारत के साथ मेल-मिलाप के मूड में नहीं दिखता। दो खण्डों वाली इस पुस्तक का विमोचन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों सम्पन्न कांग्रेस के महाधिवेशन के दौरान किया था। पुस्तक के सम्पादक मंडल के संयोजक केंद्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा हैं। पुस्तक का सम्पादन वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने किया है। चूंकि कांग्रेस इस समय केंद्र की सत्ता संभाले हुए है अत: पुस्तक में की गई उपर्युक्त टिप्पणियों को कुछ हद तक केंद्र सरकार के विचारों के रूप में लिया जा सकता है। यह पहला अवसर है जब कांग्रेस ने पाकिस्तान, चीन और संजय गांधी के विषय में इस तरह अपने मन की बात देशवासियों के समक्ष रखी । ये ऐसे विषय रहे हैं जिनको लिए काफी भ्रम, गलतफहमियां और संशय महसूस किये जाते रहे थे। अब पाकिस्तान का विषय ही लें। कांग्रेस ने उसे परम्परागत शत्रु निरुपित कर आम भारतीय की धारणाओं पर पुष्टि की मुहर लगाई है। पाकिस्तान ने आजादी के तुरंत ही भारत के प्रति ईष्र्या की गांठ बांध ली थी। पिछले साठ सालों के दौरान वहां बच्चे-बच्चे के मन में भारत के प्रति बैर-भाव भरा गया। कितने ही अवसरों पर पाकिस्तानियों ने भारत को नीचा दिखाने की कोशिश की। कश्मीर सहित देश के कई भागों में उसने आतंकवादी गतिविधियों चलवा रखी हैं। बुरी बात यह रही कि भारत में सरकार चलाने वाले लोग और कतिपय राजनीतिक दल सिर्फ लल्लो-चप्पो में लगे रहे। उन्होंने खुलकर कहने का साहस नहीं दिखाया कि पाकिस्तान को हम अपना शत्रु मानते हैं। ऐसा ही कुछ चीन के संदर्भ में कहा जा सकता है। भारत के प्रति चीन में पनपी बैर-भाव की ग्रंथि ने उसे पाकिस्तान को शह देने पर प्रेरित किया। ऐसे अनेक उदाहरण पिछले चार दशकों के दौरान सामने आये जो भारत के प्रति चीनियों के बैर-भाव का प्रमाण रहे। भारत से मुकाबले के लिए पाकिस्तान को चीन ने गले लगाये रखा। स्वयं पर सामरिक और आर्थिक मुद्दों पर भरोसा करने का एक भी कारण भारत को चीन नहीं गिनवा सकता। सूची बनायें तो दो दर्जन ऐसे प्रमाण सामने लाए जिनसे भारत के प्रति चीन का दुराग्रह साबित किया जा सकता है। संजय गांधी के संदर्भ कांग्रेस की खुली टिप्पणी सच को स्वीकार करने जैसी बात है। लेकिन, फिर भी आपातकाल की बदनामी का दोष संजय गांधी अकेले पर मढऩा ठीक नहीं है। पार्टी का मानना है कि ‘नसबंदी’ और ‘झुग्गी हटाओ’ जैसी मुहिम के कारण आपातकाल बदनाम हुआ। आपातकाल के दौरान कांग्रेस नसबंदी अभियान के कारण परिवार नियोजन कार्यक्रम में मिली सफलताओं, अतिक्रमण हटाये जाने से महानगरों, नगरों और कस्बों में सांस लेने लायक माहौल बनने, दफ्तरों के समय पर खुलने और बंद होने, समय पर उपस्थिति ट्रेनों के सही समय पर चलने जैसे सफल परिणामों का उल्लेख करने में न जाने क्यों कंजूसी कर गई। इस पुस्तक में ‘वर्तमान’ का बोलबाला अवश्य सुनिश्चित किया गया । बहरहाल, जैसे-जैसे लोग इस पुस्तक को पढ़ते जाएंगे, प्रतिक्रियाएं भी सामने आएंगी। फिलहाल यही कहें कि कांग्रेस ने आत्म निरीक्षण का प्रयास किया है।
Wednesday, December 29, 2010
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1 comment:
iska ek matlab yah bhi hai ki Indira PM hokar bhi puri power nahi rakhti thi.... bcoz isi book me likha hai ki Nasbandi Sanjai ghandhi ki galti thi. Congress ki sarkaron me (apvaad chhod kar) humesha satta ke ek se adhik kendra rahe hai... jaise Indira ke samaya Sanjai... Rajiv ke samay Sonia.... Manmohan ke samay Soniya......... etc
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