---अनिल बिहारी श्रीवास्तव
पाकिस्तान में अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री शहबाज भट्टी को भी अपने उदारवादी दृष्टिकोण की कीमत चुकानी पड़ी। वह ईश निन्दा कानून में बदलाव के समर्थक थे। जब से उन्होंने ईशनिन्दा कानून की निन्दा की थी, उन्हें लगातार धमकियां मिल रही थी। इस कानून की आलोचना करने के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या उन्हीं के सुरक्षा कर्मी ने कर दी थी। आशंका व्यक्त की जा रही है कि तासीर और भट्टी के बाद कट्टरपंथी आतंकवादी अब पूर्व सूचना एवं प्रसारण मंत्री तथा सत्तारूढ़ पीपीपी की नेता शेरी (शहरबानो) रहमान को निशाना बना सकते हैं। रहमान ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय असेम्बली में एक बिल पेश कर ईश निन्दा कानून में बदलाव की मांग की थी। बाद में उन्होंने अपनी पार्टी नेताओं के दबाव में अपने प्रायवेट बिल को वापस ले लिया था। कट्टरपंथी आतंकवादी तत्व ईसाई समुदाय की महिला आसिया बीवी को आत्मघाती हमले में उड़ा देने की धमकी पहले ही दे चुके हैं। कट्टरपंथियों की योजना आसिया पर जेल में ही हमला करवाने की है। आरोप है कि कुछ महिलाओं से आपसी बातचीत के दौरान आसिया ने अल्लाह की निंदा की थी। उदारवादी वर्ग और अल्पसंख्यकों का मानना है कि गरीब आसिया को आपसी रंजिश में फंसाया गया है। पहले तासीर और अब भट्टी की हत्याओं के बाद इस आशंका पर पुष्टि की मुहर लग गई है कि पाकिस्तान पर कट्टरपंथी तत्वों का अप्रत्यक्ष कब्जा हो चुका है और अपना वर्चस्व दिखाने के लिए वे इसी तरह की वारदातें और उदारवादी लोगों को निशाना बनाते रहेंगे। आंकड़े बता रहे हैं कि जून २००९ से जून २०१० के बीच पाकिस्तान में डेढ़ हजार से अधिक लोग आतंकवादी हमलों में मारे गए। कई उदारवादी नेताओं की हत्या की जा चुकी है। पाकिस्तान सरकार, सेना, पुलिस और अद्र्धसैनिक बल सभी कट्टरपंथी आतंकवादी के आगे बेबस नजर आने लगे हैं। सच यह भी है कि बड़ी संख्या में पढ़े-लिखे लोगों और उदारवादी वर्ग को अपने बच्चों के भविष्य की चिन्ता हो रही है। साधन-सम्पन्न लोग बच्चों को विदेश पढऩे जाने और कहीं और बसने का इंतजाम करने की सलाह देने से नहीं चूक रहे। पाकिस्तान की मौजूदा स्थिति के लिए दो कारण जिम्मेदार मान जा सकते हैं। एक-कट्टरपन और दो आतंकवाद। धर्म के नाम पर जन्म लेने वाले पाकिस्तान में शुरूआत से ही धार्मिक कट्टरवाद पर जोर दिया गया। स्थिति फौजी तानाशाह जनरल जिया उल हक के शासनकाल में अधिक बिगड़ी। ईशनिन्दा कानून जनरल जिया की देन है। जिया उल हक ने ही पाकिस्तान का इस्लामीकरण किया था। १९८०, १९८२ और १९८६ में वहां पाकिस्तान दण्ड संहिता और आपराधिक प्रक्रिया संहिता में संशोधन कर पैगम्बर साहिब की निन्दा करने पर मृत्युदण्ड का प्रावधान किया गया। इसी बीच अफगानिस्तान और भारत से अप्रत्यक्ष युद्ध लडऩे के लिए पाकिस्तान में आतंकवाद को खुला संरक्षण दिया गया। आज पाकिस्तान का आतंकवाद समूचे विश्व के लिए एक बड़ी समस्या बन चुका है। मैपलक्राफ्ट नामक संगठन द्वारा तैयार सूची के अनुसार आतंकवाद से सर्वाधिक प्रभावित देशों में पाकिस्तान सोमालिया के बाद दूसरे नंबर पर है। कट्टरवाद और आतंकवाद का काकटेल पाकिस्तान के समक्ष अस्तित्व का संकट खड़ा कर रहा है। पाकिस्तान उस दिशा की ओर बढ़ चुका है जहां से वापसी के कोई आसार नहीं हैं। सलमान तासीर की हत्या ने एक बार पुन: यह तथ्य सामने रखा था कि जिया उल हक द्वारा छोड़ा गया धर्मान्धता का विष पाकिस्तान की रग-रग मेें फैल चुका है। सेना, पुलिस अद्र्धसैनिक बल, राजनीति सहित लगभग हर क्षेत्र में कट्टरपंथी तत्व भर गये हैं। उस देश के लोगों की सोच का नजारा तासीर के हत्यारे को अदालत में पेश करने के लिए ले जाते समय देखने को मिला। लोग उस पर गुलाब के फूल बरसा रहे थे, उसे चूमने के लिए उछल रहे थे। पांच सौ से अधिक इस्लामिक विद्वानों ने तासीर के हत्यारे को ‘गाजी’ का खिताब दिया। उन्होंने ऐलान कर दिया तासीर के लिए गम का किसी भी किस्म का प्रदर्शन अनुचित होगा। यह प्रमाणित हो रहा है कि ईश निन्दा कानून का उपयोग पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों को प्रताडि़त करने के लिए हो रहा है। उससे बुुरी बात यह है कि अब अल्लाह के नाम पर उदार लोगों की हत्या की जा रही है। यह अपेक्षा करना व्यर्थ है कि पाकिस्तान में बिगड़ते हालात से सबक लेकर भी कोई कुछ कर पाएगा। वहां बाजी हाथ से निकल चुकी है।
Sunday, March 6, 2011
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