Tuesday, January 11, 2011

खोटे सिक्के नहीं चलते आईपीएल में

-अनिल बिहारी श्रीवास्तव
यह बात सुनिश्चित रही है कि इंडियन प्रीमियर लीग के चौथे सत्र के लिए नीलामी में शामिल साढ़े तीन सौ खिलाडिय़ों में से एक सौ खिलाडिय़ों को नहीं बिक पाने के कड़वे सच का सामना करना होगा लेकिन कम ही लोगों ने कल्पना की होगी कि सच की यह कड़वी गोली कल के दिग्गज सौरव गांगुली, सनथ जयसूर्या और ब्रायनलारा जैसों के भाग्य में लिखी थी। आईपीएल चौथे सत्र में भाग लेने वाली दस टीमों के लिए ढाई सौ खिलाडिय़ों की नीलामी होनी है। नीलामी के पहले दिन यह उलटफेर देखने में आया कि बॉलीवुड सुपर स्टार शाहरुख खान ने अपने पूर्व कप्तान सौरव गांगुली और कैरिबियाई बल्लेबाज क्रिस गेल से पीछा छुड़ा लिया। शाहरुख ने अपनी टीम कोलकाता नाइटराइड्र्स के लिए गौतम गंभीर को ११.०४ करोड़ में खरीदकर अपने तेवरों का अहसास करा दिया। शाहरुख ने सौरव गांगुली तक यह संदेश पहुंचा दिया कि वह उनके स्तरहीन प्रदर्शन को सिर्फ इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकते क्योंकि वह कल के क्रिकेट सुपरस्टार रहे हैं। सौरव गांगुली जैसी स्थिति का सामना करने वालों में ब्रायन लारा और सनथ जयसूर्या के अलावा क्रिसगेल, जेसी राइडर, हर्शल गिब्स, मैट प्रायर, मार्क बाउचर, लक राइट, जेम्स एडरसन और कपुगेडरा के नाम सामने आए हैं। दरअसल, सौरव गांगुली और ब्रायन लारा का पहले दिन ही नहीं बिक पाना सीनियर और जूनियर क्रिकेटर खिलाडिय़ों के लिए एक सबक है। भविष्य में दौलत और शोहरत कमाने की कामना रखने वाले खिलाडिय़ों को आज ही कुछ बातें अपने दिमाग में बैठा लेनी चाहिए। मसलन, आईपीएल टीमों के फ्रैंचाइजी इमोशनल कम और प्रोफेशनल अधिक है। वे उन्हीं घोड़ों पर दाम लगाएंगे जो दौड़ें, फिर दौड़ में वह भले अव्वल न हो किन्तु उसे फिसड्डी भी नहीं होना चाहिए। दूसरा सबक यह है कि सीनियरिटी के गुरूर में मैदान से बाहर नहीं रहिये। लगातार खेलते रहें। छोटे मुकाबलों में उतरने में संकोच और झिझक न हो। बल्लेबाजी क्रम को लेकर रवैया अडिय़ल नहीं हो। आप विनम्र रहें। ज्यादा अहम और टकराव खेल के लिए जरूरी एकाग्रता को भंग करता है। आईपीएल जैसे विशुद्ध व्यावसायिक खेल आयोजन में जगह पाने के लिए अपनी मौजूदा क्षमताओं के अनुरूप कीमत की अपेक्षा की जानी चाहिए। सौरव गांगुली और ब्रायन लारा के संदर्भ में यह बात नकारात्मक पाई गई कि उन्होंने अपनी न्यूनतम मांग बहुत अधिक रखी थी। गांगुली अपने झूठे अहंकार से मुक्त होकर स्वयं ही रेट कम कर लेते तब संभव था कि दस टीम के मालिकों में से कोई न कोई उनके नाम पर पहले दिन ही विचार कर लेता। सीमित बीस-बीस ओवरों वाले आईपीएल मैचों ने लगभग समूची दुनिया में धूम मचा दी है। इस प्रतियोगिता का पेशेवराना अंदाज लगभग समूची क्रिकेट दुनिया के दिग्गजों को आकर्षित करता है। इस फटाफट क्रिकेट ने खेल की दिशा और दशा बदलकर रख दी। कम ही लोगों ने कल्पना की होगी कि भारतीय क्रिकेट कण्ट्रोल बोर्ड का यह प्रयोग इतना सफल होगा। इसमें खेलने वाले खिलाड़ी मालामाल हो रहे, इसकी टीम के मालिकों के खजाने ठसाठस भरे हैं, क्रिकेट बोर्ड की पांच अंगुलियां घी में और सिर कढ़ाई में नजर आ रहा एवं विज्ञापन दाता जमकर कमाई कूट रहे। सबसे बड़ी बात यह है कि दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी आईपीएल के दौरान गजब के बौराये से नजर आते हैं। क्रिकेट और कमाई के लिए ऐसी दीवानगी पहले कभी कहां देखी गई थी? सच यह है कि सीमित पचास ओवरों के एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों के शुरूआती दिनों में देखा गया क्रेज तक आईपीएल के सामने आज फीका नजर आता है। आईपीएल का रुतबा भविष्य में बढ़ता ही जाएगा । लेकिन टीमों के लिए खरीदे गए खिलाडिय़ों को एक बात समझ लेनी चाहिए जो व्यावहारिक होगा और अच्छा खेल सकेगा, वही चलेगा। अन्यथा कल सौरव गांगुली जैसी स्थिति का सामना उन्हें भी करना होगा।

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