Thursday, January 20, 2011

छलनी लगा छान मारें भ्रष्टाचारियों को

--अनिल बिहारी श्रीवास्तव
आयकर छापों के शिकंजों में फंसे मध्यप्रदेश के निलंबित आईएएस दंपत्ति अरविंद जोशी और टीनू जोशी की काली कमाई पर छापा मारने और जांच करने वाले अधिकारी अचंभित हैं। जोशी दंपत्ति ने पिछले २१ सालों में साढ़े तीन सौ करोड़ की काली कमाई जुटाई है। काली कमाई और उसके निवेश की सूची काफी लंबी है। उसका उल्लेख करना जरूरी महसूस नहीं हो रहा। अब मध्यप्रदेश में ही एक इंजीनियर के यहां मारे गये लोकायुक्त छापे पर नजर डालें। नरसिंहपुर में पदस्थ लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री अशोक कुमार जैन के यहां से एक करोड़ ७९ लाख रुपये नकद और ९ किलो सोना जब्त किया जा चुका है। अभी उसकी और संपत्ति सामने आने की संभावना व्यक्त की जा रही है। जोशी दंपत्ति और अशोक कुमार जैन के उदाहरण इस बात का एक ओर प्रमाण हैं कि यह देश किस तरह भ्रष्टाचार के दल-दल में धंसता जा रहा है और उसे बचाने के लिए कहीं से ऐसी कोई ठोस पहल नहीं हो रही जिससे भ्रष्ट तत्वों की रीढ़ की हड्डी तक में कंपकंपी पैदा हो जाए। मध्यप्रदेश के अधिकांश अखबारों में बुधवार को जोशी दंपत्ति और अशोक कुमार जैन के कारनामे की खबर को पहले पन्ने पर प्रमुखता से स्थान दिया गया है। उक्ताशय की दोनों खबरों के साथ उद्योग जगत की हस्तियों द्वारा भ्रष्टाचार पर व्यक्त की गई चिंता को भी स्थान मिला है। एक विरले घटनाक्रम में कारपोरेट जगत की अगुआई करने वाले दिग्गजों, पूर्व न्यायाधीशों और अन्य हस्तियों ने एक खुला पत्र लिखा है। देश के नेताओं के नाम लिखे गये खुले पत्र में नेताओं से कहा गया है कि भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के लिए तुरंत कदम उठाये जाएं, क्योंकि भ्रष्टाचार की वजह से राष्ट्र की उन्नति के लिए मिला अवसर हाथ से निकल जाने की आशंका पैदा होने लगी है। उपर्युक्त हस्तियों की चिंता बिल्कुल वाजिब है। इससे आम आदमी की चिंता और उसमें बढ़ता तनाव महसूस किया जा सकता है। आशंका यह होने लगी है कि लगभग सवा अरब की विशाल आबादी वाले इस राष्ट्र में क्या मु_ी भर ईमानदार लोग तलाशना तक मुश्किल हो जाएगा? २जी स्पेक्ट्रम, आदर्श हाउसिंग घोटाला, राष्ट्रमंडल खेल में भ्रष्टाचार और मध्यप्रदेश के जोशी दंपत्ति एवं इंजीनियर अशोक कुमार जैन के मामलों को एक ही चश्मे से देखने की जरूरत है। पिछले दिनों मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की थी कि भ्रष्ट तत्वों की अवैध कमाई राजसात कर ली जाएगी। भ्रष्टाचार के ताजा उदाहरणों को देखकर लगता है कि इस दिशा में तत्काल कदम उठाये जाने का समय आ गया है तथा इसकी शुरूआत जोशी दंपत्ति और इंजीनियर जैन से होनी चाहिए। कारपोरेट जगत ने नेताओं से अपील की है लेकिन वहां से कितनी आशा की जा सकती है? जिस देश की संसद में सौ से अधिक सदस्य विवादास्पद और आपराधिक पृष्ठभूमि के हों वहां तत्काल किसी ठोस एवं सकारात्मक प्रतिक्रिया की आशा करना व्यर्थ है। यहां तो जरूरत ऊपर से नीचे तक छलनी लगाने की है। भ्रष्ट तत्वों को चुन-चुनकर अलग निकाला जायेे। उनकी अवैध संपत्ति जब्त हो, उनका मताधिकार निलंबित करें तथा उन्हें यथा शीघ्र जेल भेजने का प्रबंध हो। सवाल सिर्फ यह है कि सरकार चलाने वालों में ऐसे कितने माई के लाल हैं जो भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए ऐसे किसी अभियान की अगुआई करने सामने आ सकें।

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