--अनिल बिहारी श्रीवास्तव
अहम गोपनीय दस्तावेजों को उजागर कर अमेरिका सरकार को परेशान कर देने वाली वेबसाइट विकीलीक्स की ताजा घोषणा से दुनिया भर के कर चोरों, भ्रष्ट तत्वों और गैर-कानूनी ढंग से कमाई कर उसे विदेशी बैंकों में जमा करने वालों की नींद उड़ गई होगी। विकीलीक्स के अनुसार उसे स्विस बैंकों के दो हजार ऐसे खातों का पता चला है कि जिनमें खरबों रुपयों के बराबर की अवैध कमाई जमा है। ऐसा बताया जा रहा है कि इनमें ४० राजनेताओं और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रमुखों के गोपनीय खातों का भी विवरण है। उल्लेखनीय है कि विकीलीक्स की इस घोषणा के लगभग साथ एक अन्य चौंकाने वाली खबर आई । जर्मन बैंक द्वारा सौंपी गई सूची में २८ भारतीयों के नाम हैं। इन नामों का खुलासा अभी नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि इनमें कुछ राजनेताओं, नौकरशाहों और उद्योगपतियों के नाम निश्चित रूप से होंगे।
विकीलीक्स के पिछले खुलासों से सबसे अधिक परेशानी अमेरिका को हुई क्योंकि कुछ ऐसे कड़वे सच सामने आए जिनकी जानकारी होते ही उनके प्रति अनभिज्ञता का स्वांग किया जाता था। विकीलीक्स अगर स्विस बैंक में अवैध कमाई रखने वालों के नाम सही-सही बताने में कामयाब हो जाती है तब भारत सहित कई विकासशील देशों में इसका व्यापक प्रभाव पडऩे की संभावना है। दस्तावेज बताते हैं कि विभिन्न विदेशी बैंकों में लगभग १.४ खरब अमेरिकी डालर की गैर-कानूनी कमाई जमा है। यह बहुत बड़ी रकम है। किसी कंगाल देश को मिल जाए तो वह दौडऩे लगेगा। पिछले दिनों ग्लोबल फायनेंशियल ट्रांसपरेन्सी ने दावा किया कि अकेले स्विस बैंकों में भारतीयों ने २०.८५ लाख करोड़ जमा कर रखे हैं। भारत का सकल घरेलु उत्पादन ५० से ५५ लाख करोड़ रुपये के बीच है। यह गणित आसानी से समझा जा सकता है कि स्विस बैंकों में जमा हमारे राष्ट्र के २०.८५ लाख करोड़ रुपये वापस सरकारी खजाने में आ जाएं तब न जाने कितनी विकास परियोजनाओं को गति मिल जाएगी। लेकिन यह वया इतना आसान काम है? क्या भारत सरकार में इतनी इच्छाशक्ति है? ग्लोबल फायनेंसियल ट्रांसपरेन्सी की रिपोर्ट आने से पहले से ही विपक्षी दल भाजपा विदेशी बैंकों खासकर स्विस बैंकों में जमा राष्ट्र का धन वापस लाने के लिए जरूरी कदम उठाने की मांग करती आ रही है। ऐसा नहीं लगता कि सरकार की कान में जूं रेंगी हो। निश्चित रूप से यह जटिल और लंबी प्रक्रिया है लेकिन आम आदमी की अपेक्षा सिर्फ इतनी है कि सरकार प्रक्रिया तो शुरू करे। सबसे पहले मौजूदा कानून को और सख्त बनाया जाना चाहिए। टैक्स चोरी पर सिर्फ अर्थदंड के प्रावधान से काम नहीं चलेगा। काली कमाई पर आपराधिक मुकदमा दर्ज हो, ऐसे मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रेक अदालतों से करवाई जाए, सिर्फ एक अपील का प्रावधान रखें और दोष साबित होने पर संपत्ति राजसात किये जाने के साथ-साथ जेल में डाल दिया जाए। काला धन रखने वालों को चुनाव ल$डऩे से अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए। जिस व्यक्ति का नैतिक पतन इस हद तक हो गया हो कि वह अवैध तरीकों से कमाई कर राष्ट्र के साथ विश्वासघात करे और उस कमाई को विदेशी बैंकों में जमा करवाये, ऐसे व्यक्ति को चुनाव लडऩे का अधिकार आखिर क्यों दिया जाए। ऐसे देशद्रोहियों का मताधिकार भी निलंबित किया जाना चाहिए।
बहरहाल, विश्वास करें कि विकीलीक्स की ताजा घोषणा ने विदेशी बैंकों में धन जमा करने वालों की नींद उड़ा दी है। सवाल यह है कि हमारी सरकार स्वयं जागी या वह अभी भी खर्राटे भर रही है? २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले को लेकर आम आदमी में संप्रग सरकार की नीयत पर संदेह पैदा हो गया है। काला धन रखने वालों पर कार्रवाई करके सरकार अपने दामन में लगे भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने के आरोपों के छींटे कुछ हद तक साफ कर सकती है। काली कमाई करने वालों के मुंह काले कर उन्हें घुमाने का साहस सरकार दिखाये।
Tuesday, January 18, 2011
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