Thursday, January 20, 2011

काश, शिंगणांपुर सा हो जाए सारा देश

--अनिल बिहारी श्रीवास्तव
कानून एवं व्यवस्था के लिए लोगों में अनुशासन पर जोर और कानून का खौफ कितना आवश्यक है इसका प्रमाण महाराष्ट्र के शनिदेव तीर्थस्थल शिंगणांपुर में एक व्यवसायिक बैंक की तालाविहीन शाखा खुलने से मिल जाता है। शनि शिंगणांपुर में प्रतिदिन पांच से छह हजार श्रद्धालु पहुंचते हैं। शनिवार को यहां शनिदेव के दर्शन करने वालों की संख्या एक लाख तक पहुंच जाती है। मगर मजाल है कि अहमदनगर के इस छोटे से गांव में चोरी, उठाईगिरी, लूट की एक छोटी-सी भी घटना हो जाए। शनि शिंगणांपुर के घरों और दुकानों में कभी ताले नहीं लगाये जाते। मान्यता है कि उस क्षेत्र में चोरों की हिम्मत नहीं होती। उन्हें शनिदेव के कोप का खौफ रोके रखता है। इसलिए जब इस गांव में व्यावसायिक बैंक खोलने का अनुरोध यूनाइटेड कामर्शियल (यूको) बैंक को मिला तो बैंक शीर्ष प्रबंध ने तमाम सुरक्षा चेतावनियों के बावजूद वहां तालाविहीन बैंक शाखा खोलने का निर्णय ले लिया। यूको बैंक वालों से पहले अन्य बैंक शाखा खोलने के प्रस्ताव पर हाथ खड़े कर चुके थे। वे शिंगणांपुर के संबंध में मान्यता और विश्वास के कारण ताला सुविधा वाली शाखा नहीं खोल सकते थे और ताला विहीन शाखा खोलने का वे साहस नहीं जुटा पाए। यूको बैंक प्रबंधन को न्याय के देवता शनि देव के प्रभाव पर विश्वास रहा होगा अत: उन्होंने एक ऐसा प्रयोग कर दिखाया जो गिनीज बुक आफ वल्र्ड रिकाडर््स में दर्ज होने योग्य माना जा रहा है। इस शाखा परिसर में दरवाजे हैं लेकिन उसमें ताला नहीं लगाया जाएगा। महत्वपूर्ण दस्तावेजों और लाकर्स सुरक्षा के लिए पर्याप्त उपाय किये गये हैं। यूको बैंक द्वारा किया गया इस अभूतपूर्व प्रयोग की सफलता सभी सुनिश्चित मान रहे हैं। लोगों का कहना है कि जिसने भी बैंक प्रबंधन का विश्वास तोड़ा उसे और उसके समूचे खानदान को शनिदेव का कोप भोगना होगा। शिंगणांपुर के इस उदाहरण ने कानून एवं व्यवस्था के लिए सख्त कानून और त्वरित न्याय का महत्व प्रतिपादित सा कर दिया है। हाल के वर्षों में देश के पूर्व प्रधान न्यायाधीश ने नई दिल्ली में एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि ‘‘ अधिकांश लोगों में कानून का खौफ खत्म हो जाने से ही देश तमाम तरह की समस्याओं से जूझ रहा है। यदि यह सुनिश्चित हो जाए कि कानून का उल्लंघन करने पर बचना असंभव है तब देखिये अपराधों में किस तेजी से कमी आती है।’’ उनके उपर्युक्त कथन से असहमत नहीं हुआ जा सकता। स्वतंत्रता के बाद से ही अनुशासन और नैतिक मूल्यों पर जोर क्रमश: कम होता चला गया। इसी के चलते भ्रष्टाचार, कानून का उल्लंघन और अपराधों का ग्राफ लगातार उठता रहा। कानून तोडऩा शान की बात समझी जाने लगी। यहां तक कि लोग यातायात नियमों तक का भी पालन करने से बचने की कोशिश करते हैं। इसका उदाहरण चौराहों पर लाल बत्ती को अनदेखा किया जाना है। ट्रैफिक पुलिस वाला रोके या कार्रवाई करे तब उसे किसी नेता और बड़े अधिकारी के नाम पर धौंस देने में पल भर देर नहीं की जाती। देश में आतंकवादी और माओवादी गतिविधियां तथा उन्हें दबे छुपे समर्थन/संरक्षण का कारण भी कानून का भय कम हो जाना है। आजादी के बाद तुरंत सामने आये जीप खरीद घोटाले के दोषियों को चौराहे पर चाबुक चिपकवाये जाते तब क्या बोफोर्स दलाली, २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला, आदर्श हाऊसिंग घोटाला जैसी ‘चोरियां’ हो पातीं? देश का धन चुराने और उसे विदेशी बैंकों में जमा कराने का साहस कोई गद्दार कर पाता? छोटे से शिंगणांपुर गांव ने शनिदेव के प्रभाव के चलते कानून के पालन और न्याय का बेहतरीन उदाहरण प्रस्तुत किया है। कहते हैं न सख्त और न्यायप्रिय राजा ही सफल होता है। सख्त प्रशासन से सफलतापूर्वक देश चलाया जा सकता है। यह बात हमारी सरकार चलाने वालों को समझनी होगी।

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