--अनिल बिहारी श्रीवास्तव
कोलकाता से खबर आई है कि कोलकाता नाइट राइट्र्स द्वारा पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान सौरभ गांगुली को आईपीएल-४ सत्र के लिए नहीं खरीदे जाने से गांगुली के प्रशंसक नाराज हैं। सौरव गांगुली के प्रशंसकों के संगठन ने कह दिया है, ‘‘नो दादा नो केकेआर।’’ उन्होंने सडक़ों पर प्रदर्शन का कार्यक्रम तय कर रखा है। यह ज्ञात नहीं हो पा रहा है कि अपने प्रशंसकों की नाराजगी और उनके तेवरों पर स्वयं सौरव गांगुली क्या राय रखते हैं लेकिन उन्हें इस बात के लिए खुश होना चाहिए कि देश के कुछ पूर्व दिग्गज खिलाड़ी और ताकतवर राजनेताओं ने सौरव गांगुली की ओर से जुबानी बल्लेबाजी शुरू कर दी है। शिवसेना नेता बाल ठाकरे ने गत दिवस ‘सामना’ में अपनी सम्पादकीय में कोलकाता नाइट राइड्र्स के फ्रैंचाइजी, अभिनेता शाहरुख खान को अपने अंदाज में गरियाया। ठाकरे को शिकायत है कि शाहरूख ने पिछले सत्रों में खूब धन कूटा अब गांगुली जैसे बेहतरीन खिलाड़ी को दूध में गिरी मक्खी की तरह निकाल बाहर फेंका। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान तथा धाकड़ आल राउंडर कपिल देव भी सौरव गांगुली के नहीं बिक पाने पर हैरान हैं। उधर, लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी इस बात को लेकर स्तब्ध हैं कि सौरव गांगुली जैसे हीरे को आईपीएल के १० फ्रैंचाइजी में से किसी ने भी नहीं खरीदा। स्वयं माकपाई राजनीति से पीडि़त सोमनाथ चटर्जी को सौरव गांगुली की पीड़ा का अहसास होगा।
आईपीएल चौथे सत्र के लिए सौरव गांगुली के नहीं बिक पाने के पीछे दर्जनों कारण गिनवाये जा सकते हैं। इस विषय में काफी कुछ लिखा और बोला जा चुका है। कुछ लोग इसे शाहरुख द्वारा किया गया विश्वासघात बता रहे तो वहीं कुछ को आईपीएल बोली में गहरी राजनीतिक साजिश की गंध तक महसूस हो रही है। कोलकाता नाइट राइड्र्स की ओर से सफाई दे दी गई है कि गांगुली का प्रदर्शन भले ही संतोषजनक रहा हो लेकिन इस बार खिलाडिय़ों को खरीदते समय जीत की संभावनाओं को ध्यान में रखा गया। यह स्पष्टीकरण तर्क संगत है। जब आप कोई काम पूरे व्यवसायिक दृष्टिकोण के साथ करते हैं, ऐसी स्थिति भावनाओं और भावुकता के बहाव से बचा जाता है। आईपीएल फैंचाइजी ने खिलाड़ी खरीदते समय इसी बात पर जोर दिया। नि:संदेह सौरव गांगुली का अतीत कीर्तिमानों से भरा पड़ा है तथा उनकी गणना दुनिया के सफलतम क्रिकेट कप्तानों में होती है। आज स्थिति उससे उलट है। पिछले कुछ समय से वह क्रिकेट को पूर्व की तरह समय नहीं दे पा रहे। फटाफट क्रिकेट के लिए जरूरी समझ बूझ और स्टेमिना में फ्रैंचाइजी महसूस कर रहे थे। फिर उनका ऊंचा दाम एक अड़चन बन गया। शाहरुख खान समझ रहे हैं कि सौरव गांगुली को नहीं लेने से कोलकाता में सौरव समर्थक हंगामा कर सकते हैं। शायद इसीलिए उन्होंने सौरव गांगुली के समक्ष मेंटर बनने का प्रस्ताव रखा था। दादा की कोलकाता में दादागिरी से वाकिफ लोग जानते हैं कि उनका अहं सबसे बड़ी अड़चन रहा है। एक पल के लिए शाहरुख खान पर लगाये जा रहे आरोपों का सच मान लें लेकिन विचार करें कि शेष फैंचाइजी ने गांगुली को क्यों नहीं खरीदा? आईपीएल खेल में व्यवसाय है। टीम खरीदने वालों का उद्देश्य धन कमाना है। वे जोखिम क्यों उठाना चाहेंगे? आप गांगुली के प्रशंसक है इससे आपको यह अधिकार नहीं मिल जाता कि अपने प्रिय खिलाड़ी को खरीदने के लिए आप किसी व्यवसायी पर दबाव डालें। यह तो जबरन की दादागिरी हुई।
Tuesday, January 18, 2011
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